Monika garg

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खता क्या थी मेरी ?

गतांक से आगे…
     ठाकुर साहब का आज मन बहुत भारी था कनक की दुःख भरी दास्तां सुनाने के बाद बरबस आंखों से आंसू आये जा रहे थे।आज ठाकुर साहब ने कुल्ला करके नाश्ता भी नहीं किया ।भारी मन से अपने पलंग पर आकर लेट गये बहू नाश्ता लायी तो ठाकुर साहब बोले,"बींदनी बेटा यो नासता ले जाओ आज जी ना है। बहू वापस ले गयी नाश्ता।अपनी पत्नी के हाथों में नाश्ते की थाली देख कर भगवान सिंह ठाकुर साहब के कमरे में आया ,"कै बात पिताजी थेह क्यूं कोनी जीमते।"भगवान सिंह को देखते ही ठाकुर साहब एक बच्चे की तरह रोने लगे बोले,"भगवाने तननै पता कोनी कनक बिटिया के साथ कितनी भारी नाइंसाफी हुई है।आज उसका दुःख सुना कोनी जा रहा था। मैं तो बहुत शर्मिन्दा हूं उसके आगे अपने आप को बहुत छोटा मानता हूं।"भगवान सिंह पिता को धीरज देते हुए बोला,"थेह अब मन पै ना लो याह बात।और यो लो गनपत साहू की हवेली की चाबी ।किसी ब्रोकर को कह रखा था हवेली बिकवाने के लिए ।कालह ही पता चला गनपत साहू तो विदेस मह ही किसी हादसे का सिकार होगया बाप बेटा वहीं खत्म होंगे।छोटा बेटा बीमारी से मर गया।और एक जो दूसरी औरत की जाई थी वा सहर मह किसी छोराह संगे भाग गी।सुना है गनपत की घरवाली सहर में तंगहाली में जीवन काट री है।जभी तो हबेली कौड़ियों दाम बेच री है।"ठाकुर महेन्द्र प्रताप लंबी सांस लेते हुए बोले ,"कनक की आत्मा यूं खुसहाली में जीन दे देगी उन्होंने।सब का अंत कर देगी।"अच्छा अब थेह थोड़ा कलेवा कर लो ।"भगवान सिंह नाश्ते की थाली अपनी पत्नी के हाथों से लेते हुए बोला। ठाकुर साहब ने बेमन से नाश्ता किया फिर भगवान सिंह के हाथों में पूजन सामग्री की सूची देकर बोले,"ले यो समान लाना है अनुष्ठान के लिए और सुन आज रात ही हवेली पर यज्ञ और आत्मा मुक्ति अनुष्ठान होगा। तुम तीनों भाइयों को मेरे साथ रहना है और हां सहर जा कर उस पागल (गनपत साहू की पत्नी)को भी ले आईयो।उसके बिना अनुष्ठान अधूरा है।
आज बहुत काम करने हैं मैं भी थोड़ा सा सुस्ता लूं फिर चाबी लेकर हवेली जाऊं गा। आज कनक से मिलकर सारा किस्सा पता चल जाएगा।रात अनुष्ठान भी करना है।" यह कहकर ठाकुर सोने की कोशिश करने लगे ।पर नींद तो कोसों दूर थी। थोड़ी देर सुस्ताने के बाद ठाकुर साहब ने हवेली की चाबी उठाई और चल पड़े।
    बहुत ही वीरान थी हवेली मुख्य दरवाजे के नाम पर एक लोहे का बड़ा सा गेट था जो जगह-जगह से जंग लगने से टूट गया था।उसे ठेलकर ठाकुर साहब अंदर की ओर हवेली की दहलीज पर पहुंचे। जैसे ही दरवाजे को चाबी लगा रहे थे दरवाजा अपने-आप ही चररर की आवाज से खुल गया। ठाकुर साहब ने देखा बहुत ही शानदार हवेली थी ऊंचे ऊंचे मेहराब ,झाडफानूस,दीवारों पर उकेरे हुए भित्ती चित्र हवेली की किसी समय की शान का व्याख्यान कर रही थी। जगह-जगह जाले लगें थे ठाकुर साहब अपने साथ दो चार नौकर ले गये थे उन्होंने देखते-देखते सारी हवेली साफ कर दी ।बीच आंगन में अनुष्ठान की तैयारी की गयी। भगवान सिंह ने दुकान से ही सारा सामान हवेली पहुंचवा दिया था। बड़ा सा हवन कुंड लगाया गया।फूल ,नींबू, लौंग, नारियल, सिन्दूर आदि सभी समान यथा जगह लगा दिया। अब ठाकुर साहब स्नान करके जप करने बैठ गये। क्योंकि आत्माओं का समय रात को होता है पर अभी तो दोपहर बाद का समय था तो जाप करके कनक की आत्मा को बुलाया।आते ही कनक की आत्मा ठाकुर साहब के सामने बैठ गयी बोली,"ददू!आज इस समय क्यों बुलाया मुझे?"ठाकुर साहब बोले,"बिटिया आज ही वो दिन है जब तू अपनी मंजिल को पा लेगी।अब आगे बता तेरे साथ क्या हुआ। (कनक बोलती जा रही थी ,"ददू मुझे मार मारकर अधमरा कर दिया कमजोर तो मैं पहले से थी लगातार मार और भुख से मैं मरने की कागार पर पहुंच गई थी लेकिन फिर भी एक आस थी कि सैफ आयेंगे और मुझे बचा लेंगे इन पापियों के चुंगल से। सैफ तो नहीं आये पर एक दिन कालू का वो ही साथी जो सैफ की निगरानी कर रहा था उसके खेत वाले घर में वो आया और आकर बोला,"उस मुल्ले की लाश का क्या करना है वो उसके खेत वाले घर में बंद पड़ी है अब तो बांस मारने लगी है।"उसका इतना कहना था मैं जोर जोर से चीखने लगी,"हाय!मार डाला जालिमों ने मेरे सैफ को ।मेरी बद्दुआ है तुम कभी चैन से नहीं रह पाओ गी छोटी मां। भगवान इंसाफ करेगा तुम्हारा।दो प्रेमियों को जो तुमने अलग किया है ।मैं बार बार यही कह रही थी इतने में छोटी मां को पता नहीं क्या सूझा पास में पड़ा लोहे का डंडा उठाया और मुझपर ताबड़तोड़ बरसाने लगी वो इतनी पागल हो गयी थी मारते हुए उसे ये भी ध्यान नहीं रहा कि मेरा जिस्म कब का अलग हो चुका था मेरी आत्मा से।कालू ने उसे होश दिलाया,"बहन ये तो मर गयी।अब क्या होगा पुलिस आ गयी तो।"छोटी मां एक बार तो घबराई फिर बोली,"तू चिंता मत कर मैंने इसका भी इंतजाम कर रखा है आंगन में एक पानी की हौद है फर्श के नीचे ।उसी में दबा दूंगी साली को ऊपर से हौद को ढकवा कर दोबारा फर्श करवा दूंगी। कोई पूछेगा जैसे अड़ोस पड़ोस या तुम्हारे बहनोई तो कह दूंगी मुझे क्या पता कहां है वो तो कभी की एक मुसलमान के लड़के के साथ भाग गयी।"(क्रमशः)

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8 Comments

Inayat

05-Mar-2022 01:45 AM

👌👌👌

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Monika garg

05-Mar-2022 12:23 PM

धन्यवाद

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Arshi khan

03-Mar-2022 06:43 PM

Bahut khoob

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Monika garg

03-Mar-2022 08:33 PM

धन्यवाद

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Gunjan Kamal

24-Feb-2022 04:48 PM

Very nice

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Monika garg

24-Feb-2022 10:52 PM

धन्यवाद

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